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सिंधु घाटी सभ्यता का पतन | Sindhu ghati sabhyata ka patan

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन के कारण शुरू से ही काल्पनिक रहा है यही कारण है कि सिंधु घाटी सभ्यता का पतन के कारण खुदाई में प्राप्त अवशेषों के आधार पर अनुमान लगाया जाता है

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन

सिंधु घाटी सभ्यता के लगभग 2300-1700 ईसा पूर्व तक फलने फूलने के बाद पतनोन्मुख दशा में अग्रसर होती चली गई कई विद्वानों ने इस सभ्यता के पतन के कई कारण दिए हैं आइए हम उसके बारे में अध्ययन करेंगे:-

विद्वानों के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता का पतन के निम्नलिखित कारण दिए गए हैं:-

सिंधु नदी में बाढ़ का आना

मार्शल, मैके,एस• आर• राव के अनुसार इस सभ्यता का विनाश एकमात्र नदी की बाढ़ के कारण हुआ। सिंधु घाटी सभ्यता के लगभग सभी नगर नदी के तटीय इलाके में होने के कारण प्रतिवर्ष उन्हें बाढ़ का सामना करना होता था।

हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की उत्खनन से नगरों के कई बार पुनर्निर्माण की बात सामने आई है। इन विद्वानों के अनुसार प्रतिवर्ष बाढ़ का सामना करने से उन्हें बहुत क्षति होती होगी। अंततः उन्हें दूसरे जगह जाने पर बाध्यता हुई होगी।

मार्शल ने मोहनजोदड़ो की खुदाई में कई स्तरों के बालू की परतें मिली है जिसका कारण वे बाढ़ ही बताते हैं।

मैके को भी चन्हुदड़ो से बाढ़ के प्रमाण मिले, जिससे उनका भी मानना है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग बाढ़ से परेशान होकर ऊंचे स्थानों में जाकर बस गए होंगे

एस आर राव को लोथल एवं भरतराव में बाढ़ के प्रमाण मिले हैं इनके अनुसार बाढ़ के कारण उनका समृद्ध बंदरगाह नष्ट हो गए होंगे, भवन बर्बाद हो गए होंगे अंततः लोगों को वहां से पलायन करना पड़ा होगा।

यद्यपि सिंधु नदी में बाढ़ के कारण कुछ प्रमुख नगर नष्ट हो गए होंगे तथापि इससे यह बात तर्कसंगत नहीं लगती की पूरी सभ्यता का विनाश बाढ़ से ही हुआ होगा। क्योंकि कई ऐसे नगर थे जो नदियों से दूर थे उनका अंत फिर कैसे हुआ?

अतः कई विद्वान सिंधु घाटी सभ्यता के विनाश के लिए कुछ अन्य कारणों को भी उत्तरदायी माना है।

गार्डेन चाइल्ड, मार्टीमर व्हीलर, स्टुअर्ट पिगट आदि विद्वानों ने बाह्य आक्रमण को सिंधु घाटी सभ्यता के विनाश का प्रमुख कारण माना है।

आर्यों एवं विदेशियों का आक्रमण

गार्डेन चाइल्ड, मार्टीमर व्हीलर,स्टुअर्ट पिगट के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता का अंत आर्यों एवं विदेशियों का आक्रमण रहा होगा। क्योंकि व्हीलर ने हड़प्पा में अपने खुदाई कार्य के दौरान एक टीले के चारों ओर सुरक्षा भित्ति प्राप्त किया था साथ ही ऋग्वेद में वर्णित ‘पुरन्दर’ तथा ‘हरियूपीया’ शब्द के बारे में जानकारी उन्हें प्राप्त हुई

इसे आधार मानकर कि पुरन्दर का अर्थ ‘दुर्गों का विनाश करने वाला’ होता है। उन्होंने आर्य आक्रमण का सिद्धांत प्रतिपादित कर दिया। हरियूपीया का संबंध- हड़प्पा से स्थापित कर यह निष्कर्ष निकाला कि आर्यों ने ईसा पूर्व 1500 के लगभग अचानक आक्रमण कर सिंधु घाटी सभ्यता को ध्वस्त कर दिया तथा जान माल की हानि पहुंचाई।

लेकिन इसे तर्कसंगत नहीं माना गया क्योंकि मोहनजोदड़ो से प्राप्त नरकंकाल न तो एक ही स्तर के हैं और न ही सभ्यता के अंतिम स्तर के हैं यह नर कंकाल जिस स्तर से मिलते हैं वहां से युद्ध में प्रयोग होने वाली कोई सामग्री नहीं मिलती है।

 कुछ विद्वानों के अनुसार मोहनजोदड़ो से प्राप्त नर कंकाल में से अधिकांश की मृत्यु प्लेग, मलेरिया जैसी बीमारी से हुई।

अतः आर्यों द्वारा सिंधु वासियों पर आक्रमण करना एवं सामूहिक हत्या किए जाने की पुष्टि नहीं होती। जहां तक हरियूपीया का संबंध हड़प्पा से स्थापित करने का सवाल है तो सिर्फ ध्वनि साम्यता रखता है और कोई आधार नहीं।

 अमेरिकन पूराविद रिचर्ड एच• मीडो ने भी स्वीकार किया है कि मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से कोई साक्ष्य नहीं मिला है जिससे यह सिद्ध हो सके कि सिंधु सभ्यता का अंत आक्रमणकारियों द्वारा विनष्ट किए गए हो।

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हड़प्पा सभ्यता के पतन के अन्य कारण

बाढ़ तथा बाह्य आक्रमणों के साथ साथ विद्वानों ने सैन्धव सभ्यता के विनाश के कई कारण बताए हैं:-

जलवायु में परिवर्तन

ऑरेल स्टाईन एवं ए• एन• घोष के अनुसार हड़प्पा सभ्यता का विनाश जलवायु परिवर्तन के कारण हुआ। इनके अनुसार सिंध, पंजाब एवं राजस्थान में बारिश बहुत होती थी एवं घने वन स्थित थे। ईटों के निर्माण के लिए एवं मकान बनाने के लिए जंगलों की कटाई की गई जिसके कारण बारिश में कमी होती गई इससे कृषि पैदावार में कमी के कारण भूखमरी का सामना करना पड़ा।

 इस प्रकार जलवायु में परिवर्तन के कारण नदियां सूख गई एवं सैन्धव नगरों का विनाश हो गया।

भूतात्विक परिवर्तन

एम• आर• साहनी, डेल्स, कौशाम्बी के अनुसार भूतात्विक परिवर्तन के कारण सैन्धव नगरों का विनाश हुआ। जिसके कारण भारी जलप्लावन से जमीन दलदल एवं कीचड़ युक्त हो गई, यातायात बाधित हुई और पैदावार में भारी गिरावट हो गई। जिसके कारण लोग पलायन करने में मजबूर हुए।

नदियों के मार्ग में परिवर्तन

एच• टी• लैम्ब्रिक तथा माधो स्वरूप वत्स जैसे विद्वानों के अनुसार सिंधु एवं अन्य नदियों का मार्ग परिवर्तित हो जाने के कारण सैन्धव सभ्यता का पतन हुआ। वत्स के अनुसार हड़प्पा रावी नदी के तट पर स्थित था और रावी नदी के मार्ग परिवर्तन से हड़प्पा का विनाश हुआ।

जी• एफ• डेल्स के अनुसार कालीबंगा का विनाश घग्गर नदी एवं उसके सहायक नदियों के मार्ग परिवर्तन के कारण हुआ। नदियों द्वारा मार्ग बदलने से खेती के लिए सिंचाई करना कठिन हो गया और कृषि बाधित हुई और जलीय व्यापार में भी असर हुआ अंततः सैन्धव नगरों का पतन हो गया।

मलेरिया एवं प्लेग जैसे महामारी का होना

के• यू• आर• कनेडी ने मोहनजोदड़ो से मिले नर कंकालों का परीक्षण कर बताया कि सैन्धव सभ्यता का पतन मलेरिया, प्लेग आदि महामारी के कारण हुआ।

आर्थिक दुर्व्यवस्था

कुछ विद्वान आर्थिक दुर्व्यवस्था को सैन्धव सभ्यता का पतन का कारण मानते हैं सैन्धव नगरों की समृद्धि का मुख्य आधार उनका पश्चिमी एशिया से विशेषकर मेसोपोटामिया की सुमेरियन सभ्यता के साथ व्यापार था। यह व्यापार 1750 ईसा पूर्व में लगभग समाप्त हो गई। इसका प्रभाव यह हुआ कि नगरीय व्यवस्था भी छिन्न-भिन्न हो गई। तथा उसमें ग्रामीण संस्कृति उभरने लगी अब बड़े मकान छोटे-छोटे कमरों में विभक्त हो गए एवं मकान निर्माण में पुरानी ईटों का प्रयोग होने लगा।

पर्यावरण में बदलाव/भौतिक- रासायनिक विस्फोट

रूसी विद्वान एम• दिमित्रिदेव के अनुसार सैन्धव सभ्यता का पतन पर्यावरण में अचानक परिवर्तन जो कि किसी भौतिक-रासायनिक विस्फोट ‘अदृश्य गाज’ के माध्यम से हुआ। इससे निकलने वाली ऊर्जा और ताप लगभग 15000 डिग्री सेल्सियस के लगभग मानी जाती है जो कि कई किलोमीटर तक के क्षेत्र के सभी चीजों को विनष्ट कर देता है इसे जलवायु विषाक्त हो जाता है।

मोहनजोदड़ो से प्राप्त नर कंकालों की दशा तथा अग्नि से पिघले पत्थरों के अवशेषों को देखकर यह तर्कसंगत भी लगता है। इन्होंने महाभारत में वर्णित इस प्रकार के विस्फोट की ओर संकेत कर इससे तादात्मय स्थापित मोहनजोदड़ो से किया है।

निष्कर्ष

निष्कर्षतः हम कह सकते हैं कि उपरोक्त वर्णित कई कारणों ने मिलकर हड़प्पा सभ्यता को पतन के मुख में ढकेल दिया। साथ ही एक बात स्पष्ट हो जाती है की सिंधु घाटी सभ्यता का पतन अचानक न होकर एक लंबे समय के प्रक्रिया का परिणाम था। इसके लिए हम किसी एक कारण को उत्तरदाई नहीं ठहरा सकते हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता के कुछ नगरों के उत्खनन में भूकंप के भी प्रमाण मिले थे हो सकता है भूकंप भी एक कारण हो सकता है। बी• बी• लाल ने जलवायु परिवर्तन, प्रदूषित वातावरण, तथा व्यापारी गिरावट को सिंधु घाटी सभ्यता का पतन का कारण माना है।

अतः हम भी यह मान सकते हैं कि सैन्धव सभ्यता का पतन का कारण एक नहीं बल्कि कई थे।

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