INS Vikrant भारत का पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत
भूमिका
देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी के द्वारा 2 सितंबर 2022 को INS Vikrant को देश के नाम समर्पित किया गया देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत INS Vikrant की जलावतरण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया, जो अब स्वयं ऐसे पोत बना सकने में सक्षम हैं
इसका नाम नौसेना के सेवा मुक्त प्रथम विमान वाहक पोत आई एन एस विक्रांत के नाम पर INS Vikrant आई• ए• सी• 1 रखा गया है वर्तमान में भारत के पास केवल एक ही विमान वाहक पोत है जो रूसी मूल का आई एन एस विक्रमादित्य है|
भारत उन देशों में शामिल है, जो अधिकांश रक्षा सामग्री आयात करता है और इसके लिए भारत को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है यदि भारत अपनी रक्षा आवश्यकताओं के लिए आत्मनिर्भर हो जाए तो इन खर्च को अपने देश के विकास में लगा सकता है|
भारत अपनी अधिकांश रक्षा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर है जो यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस का झुकाव चीन की तरफ होती जा रही है जिससे भारत को रूस से रक्षा सामग्री और उपकरण हासिल करने में कठिनाई और देरी हो सकती है|
निर्माण प्रक्रिया
INS Vikrant कुल लागत 20000 करोड़ रुपया में बन कर तैयार हुआ|
INS Vikrant का निर्माण कार्य प्रोजेक्ट 71 के तहत 2009 मैं शुरू किया गया लेकिन इसकी डिजाइनिंग का काम 1999 से ही चल रहा था इसकी डिजाइनिंग भारतीय नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय (डीएनडी) द्वारा डिजाइन किया गया|
इसका निर्माण कोच्चि शिपयार्ड में किया गया है इसके कांबैट मैनेजमेंट सिस्टम को टाटा पावर स्ट्रैटजिक इंजीनियरिंग डिविजन ने रूस की वेपन एंड इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियरिंग और मार्स के साथ मिलकर बनाया है
अमेरिकी कम्पनी जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा बनाया गया ताकतवर टरबाइन इंजन लगाया गया है जहाज पर लगने वाला राडार यूरोपियन कम्पनी लियोनार्डो से लिया गया है इसके साथ ही DRDO और SAIL ने मिलकर War Ship Grade Steel बनाया जिसका इस्तेमाल युद्धक जहाजों में किया जाता है
आई एन एस विक्रांत को बनाने में कोचीन शिपयार्ड, BHEL, L&T, Kirloskar के साथ-साथ 500 से अधिक भारतीय कंपनियों ने मदद की है साथ ही करीब 100 MSME कंपनियां भी शामिल थी INS Vikrant के ज्यादतर काम भारतीय कम्पनीयों को दिया गया जिससे इसके निर्माण में ज्यादतर पैसा भारत में ही रहा|यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में बहुत बड़ा कदम है
INS Vikrant पर हल्के तेजस विमान को तैनात किए जाने पर कुछ समस्याएं आयी तो रक्षा अनुसंधान एवं DRDO ने एक योजना के तहत HAL को काम सौंपा जिसके तहत अब वह ट्विन इंजन डेट बेस्ट फाइटर विकसित कर रहा है तब तक के लिए इस पर मिग-29 के श्रेणी वाले लड़ाकू विमानों को तैनात किया जाएगा
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INS Vikrant की विशेषताएं
- यह 262 मीटर लंबा 62 मीटर चौड़ा और ‘टावर’ या आईलैंड सहित 59 मीटर ऊंचा है यह 18 मंजिला इमारत और दो फुटबॉल के मैदान के बराबर है इसकी टनधारिता और विस्थापन 44,000 टन है
- आई एन एस विक्रांत पर मिग 29 के समेत 30 लड़ाकू विमान के अलावा स्वदेशी हल्के हेलीकॉप्टर (ALH) तैनात हो सकते हैं
- निर्माण लागत 20,000 करोड़ रुपयाहै
- इसकी निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड कोचीन (सीएसएल) में हुई है
- INS Vikrant में सुपर स्ट्रक्चर में पांच डेक सहित पोत में कुल 14 डेक हैं।
- इसकी सर्वाधिक रफ्तार 28 समुद्री मील (लगभग 53 km/h से ज्यादा) क्रूजिंग गति 18 समुद्री मील है
- आई एन एस विक्रांत एक बार में करीब 75000 समुद्री मील तय कर सकता है
- इस विमान वाहक पोत में 76% स्वदेशी सामानों का इस्तेमाल किया गया है
- आई एन एस विक्रांत की निर्माण कार्य की शुरुआत 2009 में किया गया तथा इसमें प्रतिदिन लगभग 2000 लोग काम करते थे
- इसमें जितनी बिजली उत्पन्न होगी उससे 5000 घरों को बिजली दी जा सकती है
- इसकी फ्लाइट डेट करीब 1.10 लाख वर्ग फुट की है जिस पर बड़ी संख्या में लड़ाकू विमान आराम से टेक ऑफ और लैंडिंग कर सकते हैं
- इसकी स्ट्राइक फोर्स की रेंज 1.500 km तक की है
- आई एन एस विक्रांत में जमीन से हवा में मार करने में सक्षम 64 बराक मिसाइलें लगी होंगी
- इसका propulsion सिस्टम 2 शाफ़्ट सिस्टम, अमेरिकी कम्पनी जनरल इलेक्ट्रिक के ताकतवर टरबाइन इंजन लगे हैं जो इसे 1.10 लाख हॉर्स पावर की ताकत देंगे
- इसे सर्वश्रेष्ठ ऑटोमेटेड मशीनों, ऑपरेशन शिप नेवीगेशन एवं सुरक्षा प्रणालियों से लैस किया गया है
- INS Vikrant भारत को पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा।
- इसमें एक बार में 196 नौसेना अधिकारी,1149 सेलर्स और एयर क्रु तैनात रह सकते हैं इसमें लगभग 2300 कंपार्टमेंट है जो लगभग 1700 लोगों के क्रू के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जिसमें महिला अधिकारियों के लिए लैंगिंग दृष्टिकोण से संवेदनशील आवास स्थान हैं।
- इन खूबियों वाला यह युद्धपोत हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों के मद्देनजर भारतीय नौसेना की ताकत काफी बढ़ा देगा
परीक्षण
INS Vikrant की निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत 28 फरवरी 2009 को कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड में की गई निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इसे 12 अगस्त 2013 को लॉन्च किया गया दिसंबर 2020 में इसका बेसिन ट्रायल किया गया जिसमें यह खरा उतरा| समुद्री परीक्षणों के लिए इसे 4 अगस्त 2021 को समुद्री लहरों पर उतारा गया जो इसके परीक्षण का पहला चरण था अक्टूबर 2021 को दूसरा एवं 22 जनवरी 2022 को तीसरा चरण पूरा हुआ इसका अंतिम और चौथा समुद्री परीक्षण 2022 को पूरा हुआ
अंततः यह कहा जा सकता है कि INS Vikrant का अपने देश में निर्माण कर भारत एक कदम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा लिया है क्योंकि चीन और पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि ये दोनों देश भारतीय हितों के खिलाफ काम करने में लगे हुए हैं
इसे देखते हुए भारत को अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के मामले में तत्परता का परिचय देना होगा इसके लिए पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने की नई रूपरेखा बनाना होगा तथा भारत को विकसित देश बनने के लिए रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना होगा तथा आई एन एस विक्रांत इसका जीता जागता उदाहरण है
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